1.*CBSE बोर्ड / 10वीं- 12वीं की बची परीक्षाओं के लिए टेली काउंसलिंग शुरू, 15 जुलाई तक सवाल पूछ सकेंगे स्टूडेंट्स*
*टोल फ्री नंबर-1800-11-8004 पर स्टूडेंट्स IVRS और लाइव काउंसलिंग का लाभ ले सकते हैं*
*1 जून 2020 से 15 जुलाई 2020 तक लगातार सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक जारी रहेगी सर्विस*
दैनिक भास्कर
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 10वीं- 12वीं की बची परीक्षाओं के लिए टेली काउंसलिंग सेवा फिर से शुरू कर दी है। लॉकडाउन के कारण स्थगित हुई CBSE की परीक्षा अब देशभर में 1 जुलाई से 15 जुलाई तक आयोजित की जाएगी। परीक्षा के मद्देनजर टेली काउंसलिंग सर्विस 1 जून 2020 से 15 जुलाई 2020 तक लगातार सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक जारी रहेगी। टोल फ्री नंबर-1800-11-8004 पर स्टूडेंट्स IVRS और लाइव काउंसलिंग का लाभ ले सकते हैं। जबकि सामान्य पूछताछ का जवाब टेलीऑपरेटर्स दे सकेंगे।
*देशभर के 73 काउंसलर और प्रिंसिपल उपलब्ध*
देश के अलग-अलग हिस्सों से पूछे जाने वाले सवालों के लिए पूरे भारत में लाइव काउंसलिंग के लिए 73 काउंसलर और प्रिंसिपल उपलब्ध होंगे। बोर्ड ने बताया कि ओमान, सिंगापुर, कतर, यूएई, सऊदी अरब, जापान, नेपाल, कुवैत और यूएसए के स्टूडेंट्स के लिए 21 वॉलंटियर्स की सेवाएं ली जा रही हैं। मौजूदा दौर ने दुनिया भर के लोगों को काफी प्रभावित किया है। ऐसे में बोर्ड ने लॉकडाउन के बीच स्टूडेंट्स और पैरेंट्स की मदद के लिए काउसलिंग सेवा शुरू की है, जिससे उनकी परेशानियां या डाउट्स क्लियर किए जा सके।
*मार्च में स्थगित हुई थी परीक्षा*
देशभर में कोरोना के प्रसार के कारण लगे लॉकडाउन के चलते CBSE ने बोर्ड की परीक्षाएं मार्च में ही स्थगित दी थीं। जिसके बाद CBSE के तरफ से कहा गया था कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के 10वीं छात्रों के छोड़कर देश में बाकी किसी के लिए दसवीं बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित नहीं होंगी। वहीं, 12वीं बोर्ड की बची हुई परीक्षाओं में से जरूरी 29 मुख्य विषयों की ही परीक्षाएं आयोजित की जाएगी। हालांकि, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा विदेश स्थित स्कूलों में आयोजित नहीं की जाएगी।
2.*शिक्षा में नवाचार : ऑनलाइन व एफएम रेडियो के बाद अब टेलिविजन पर शुरू हुई पढ़ाई*
*-दुरदर्शन राजस्थान चैनल पर शुरू हुई शिक्षा दर्शन क्लास*
पाली/रायपुर मारवाड़।
राज्य सरकार ने ऑनलाइन व एफएम रेडिय़ों के बाद अब टेलिविजन शिक्षा दर्शन कार्यक्रम के तहत कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों की क्लास शुरू कर दी है। एक घंटे की इस क्लास में तीन चरणों में रोजाना क्लास चलेगी। जिसे टेलिविजन के जरिए अटेंड कर विद्यार्थी पढाई कर सकेंगे। टीवी पर पहली बार इस क्लास को लेकर पहले ही दिन छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह नजर आया।
दरअसल, लॉकडाउन को लेकर स्कूलों मेंं शिक्षण व्यवस्था ठप सी हो रखी है। ऐसे में विद्यार्थियों का पढाई के प्रति रूटीन न टूटे इसे लेकर सरकार ने शिक्षा में नवाचार की दिशा कदम बढाया। जिसकी शुरूआत ऑनलाइन पढाई के जरिए की गई। इसमें अभिभावकों को सोशल मीडिया ग्रुप पर जोड़ा जाकर शिक्षण सामग्री उन ग्रुपों में नियमित रूप से पोस्ट की जाने लगी। ऐसे में सरकार की जानकारी में आया कि ऐसे कई अभिभावक है, जिनके पास एंड्रोइड मोबाइल नहीं है। जिससे ऐसे छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहे हैं। फिर सरकार ने एफएम रेडिय़ों के जरिए क्लास शुरू की।
दरअसल, लॉकडाउन को लेकर स्कूलों मेंं शिक्षण व्यवस्था ठप सी हो रखी है। ऐसे में विद्यार्थियों का पढाई के प्रति रूटीन न टूटे इसे लेकर सरकार ने शिक्षा में नवाचार की दिशा कदम बढाया। जिसकी शुरूआत ऑनलाइन पढाई के जरिए की गई। इसमें अभिभावकों को सोशल मीडिया ग्रुप पर जोड़ा जाकर शिक्षण सामग्री उन ग्रुपों में नियमित रूप से पोस्ट की जाने लगी। ऐसे में सरकार की जानकारी में आया कि ऐसे कई अभिभावक है, जिनके पास एंड्रोइड मोबाइल नहीं है। जिससे ऐसे छात्र-छात्राएं ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहे हैं। फिर सरकार ने एफएम रेडिय़ों के जरिए क्लास शुरू की।
*अब टीवी पर क्लास*
विद्यार्थी टीवी देखना ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि वे टीवी पर कार्टून व सीरियल ज्यादा देखते है। इसकी जानकारी पर सरकार ने टीवी के माध्यम से क्लास चलाने की शुरूआत की। सरकार ने दूरदर्शन चैनल से सम्पर्क किया। अब जब तक राज्य में कोरोना पर पूर्णतया काबू पाया जाकर स्कूलें नहीं खोली जाती तब तक टीवी पर क्लास चलेगी।
*कब किस क्लास की होगी पढाई*
दूरदर्शन राजस्थान चैनल पर रोजाना दोपहर साढ़े बारह बजे से डेढ बजे तक कक्षा 9 व 10 की क्लास चलेगी। कक्षा 11 व 12 के जरिए दोपहर डेढ़ बजे से ढाई बजे तक क्लास चलेगी। जबकि कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए दोपहर तीन बजे से सवा चार बजे तक क्लास चलेगी।
3.*संघर्ष के बीच गुजर-बसर, फिर कैसे होंगे इन टापरों में शिक्षा के ‘दर्शन’*
*कई गांवों में अब भी विद्यार्थी-अभिभावक नई व्यवस्था से अनजान*
बांसवाड़ा.
कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान में विद्यार्थियों की शैक्षिक गाड़ी पटरी से न उतरे इसके लिए की जा रही टेलीविजन, रेडियो एवं ऑन लाइन शिक्षण की कवायद से एक ओर जहां प्रदेश के लाखों विद्यार्थी लाभांवित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब भी जनजाति बाहुल्य बांसवाड़ा के हजारों विद्यार्थी इससे दूर हैं। दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए सघर्षरत सैंकड़ों परिवार आज भी ऐसे हैं, जहां पर मूलभूत सुविधाएं नही हैं। ऐसे में शिक्षा की यह नई व्यवस्था उनके लिए सपना बनकर रह गई हैं। सोमवार को शिक्षा दर्शन कार्यक्रम की शुरूआत के साथ ही पत्रिका ने जनजाति क्षेत्र की पड़ताल की तो टापरों में गुजर-बसर जिन्दगी के बीच शिक्षा के दर्शन नहीं हो पाए।
*नहीं है जानकारी*
गांव के मुख्य मार्ग पर पेड़ की छांव में तीन विद्यार्थी बैठे हुए थे। नवमीं के हरिराम, दसवीं के नीतेश एवं पांचवीं के राहुल ने शैक्षिक नवाचार को लेकर अनभिज्ञता जताई। घर में टेलीविजन की सुविधा भी नहीं होना बताया। खेरडाबरा गांव के अभिभावक प्रभुलाल ने बताया कि बेटी सुनिता 11वीं एवं सीमा दसवीं में अध्ययररत है, लेकिन नई तकनीक से शिक्षा से जुड़े संसाधन नही है।
*टीवी-मोबाइल नहीं*
चीब गांव में मुख्य मार्ग पर दो बेटियों के साथ सब्जी बेचते अभिभावक विश्राम ने बताया कि हमारे पास मोबाइल व टीवी की सुविधा नही है। दोनों बेटियों ने बताया कि पढ़ाई तो करनी हैं, लेकिन जब से स्कूल बंद है, तब से पढ़ाई भी बंद है। अब स्कूल शुरू होने का इंतजार है। इसी गांव में एक टापरे में बैठे पांच से 6 अभिभावकों की टोली का भी यही कहना था कि हम रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में जुटे हुए है। बच्चों की शिक्षा भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसके लिए तकनीकी संसाधन भी जरूरी हैं। चीब के विनोद माहीडेम बोरखेड़ा स्कूल में अध्ययनरत है। वे बताते है कि नई शिक्षण व्यवस्था की उसे जानकारी ही नही है।
*ये 4 बड़ी समस्याएं -*
- कई घरों तक बिजली जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव।
- मोबाइल एवं तकनीकी रूप से दक्षता का अभाव। एंराइड फोन नही होने से यू ट्यूब जैसी जानकारी से भी वे दूर है- टेलीविजन भी कई घरों में नही है।
- कई गांवों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी भी नही हैं।
- मोबाइल एवं तकनीकी रूप से दक्षता का अभाव। एंराइड फोन नही होने से यू ट्यूब जैसी जानकारी से भी वे दूर है- टेलीविजन भी कई घरों में नही है।
- कई गांवों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी भी नही हैं।
*इनका कहना है*
सरकार स्तर से शिक्षण से जोडऩे के लिए विभिन्न प्रयास व नवाचार किए जा रहे है। विद्यार्थियों को रेडियो, टीवी, इंटरनेट में जो भी सुविधाजनक हो उससे जोडकऱ शिक्षण कराना है। स्थानीय स्तर पर इंटरनेटर सहित अन्य सुविधाओं की कुछ जगह समस्या जरूर है। पूरे जिले की एक-दो दिन में समीक्षा कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली जाएगी।
जयदीप पुरोहित, एपीसी व जिला प्रभारी बांसवाड़ा
जयदीप पुरोहित, एपीसी व जिला प्रभारी बांसवाड़ा
*फैक्ट फाइल*
जिला बांसवाड़ा
कुल ब्लॉक- 11
पंचायत पीईईओ- 346
पीईईओ के तहत विद्यालय- 2642
कुल विद्यार्थियों की संख्या - 378100
स्माइल से नहीं जुड़ पाए थे- 145699 विद्यार्थी
कुल ब्लॉक- 11
पंचायत पीईईओ- 346
पीईईओ के तहत विद्यालय- 2642
कुल विद्यार्थियों की संख्या - 378100
स्माइल से नहीं जुड़ पाए थे- 145699 विद्यार्थी
4.*LDC-2018 नियुक्ति के आदेश मंत्री ने किए जारी, 14 जुलाई तक मिल जाएगी नियुक्ति*
पिछले काफी समय से लम्बित चल रही LDC-2018 नियुक्ति को लेकर अच्छी खबर है। अब 14 जुलाई तक सभी को नियुक्ति आदेश जारी हो जायेंगे। मामले को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने प्रसंज्ञान लिया है और आदेश जारी किए हैं।
*पिछले काफी समय से लम्बित चल रही*
LDC-2018 नियुक्ति को लेकर अच्छी खबर है। अब 14 जुलाई तक सभी को नियुक्ति आदेश जारी हो जायेंगे। मामले को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने प्रसंज्ञान लिया है और आदेश जारी किए हैं। 5545 नॉन टीएसपी एवं 422 TSP एरिया में नियुक्ति दी जाएगी। LDC-2018 नियुक्ति को लेकर जिला और विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया का टाइम टेबल जारी कर दिया गया है। पूरी प्रक्रिया काउंसलिंग के माध्यम से की जाएगी और 14 जुलाई तक सभी को नियुक्ति आदेश जारी हो जायेंगे।
*मंत्री ने किया ट्वीट*
शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने मामले को लेकर ट्वीट किया और कहा कि LDC-2018 में शिक्षा विभाग को मिले 5545 नॉन टीएसपी एवं 422 TSP एरिया में नियुक्ति दी जानी है, जिनको जिला और विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया का टाइम टेबल जारी कर दिया गया है। पूरी प्रक्रिया काउंसलिंग के माध्यम से की जाएगी। 14 जुलाई तक सभी को नियुक्ति आदेश जारी हो जायेंगे।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित इस भर्ती को लेकर 13.85 लाख अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था जिसमें से परीक्षा के लिए लगभग 55 प्रतिशत अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित इस भर्ती को लेकर 13.85 लाख अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था जिसमें से परीक्षा के लिए लगभग 55 प्रतिशत अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे।
5.*Rbse: बोर्ड परीक्षा के लिए बनाने पड़ेंगे अतिरिक्त केंद्र*
*सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए ज्यादा जगह की जरूरत।*
अजमेर.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बकाया परीक्षाओं को लेकर मंगलवार को बैठक हुई। इसमें परीक्षाओं के लिए अतिरिक्त केंद्र बनाने और सुरक्षा इंतजाम को लेकर चर्चा की गई।
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं-बारहवीं और विश्वविद्यालय ने सैद्धांतिक और प्रायोगिक परीक्षाएं स्थगित की हैं। उच्च माध्यमिक-वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षाएं 18 से 30 जून तक होंगी। जबकि माध्यमिक की परीक्षाएं 27 से 30 जून तक कराई जाएंगी।
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं-बारहवीं और विश्वविद्यालय ने सैद्धांतिक और प्रायोगिक परीक्षाएं स्थगित की हैं। उच्च माध्यमिक-वरिष्ठ उपाध्याय की परीक्षाएं 18 से 30 जून तक होंगी। जबकि माध्यमिक की परीक्षाएं 27 से 30 जून तक कराई जाएंगी।
*केंद्रों-इंतजाम पर चर्चा*
बोर्ड अध्यक्ष प्रो. डी. पी. जारोली, सचिव अरविंद सैंगवा सहित अन्य अधिकारियों से शिक्षा विभाग, बीएलओ और अन्य अधिकारियों से चर्चा की। इसमें परीक्षा केंद्रों सहित अन्य सुरक्षा उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।
*रखनी पड़ेगी एक मीटर की दूरी*
कोरोना संक्रमण से बचाव के तहत नियमानुसार एक से दूसरे व्यक्ति के बीच एक मीटर की दूरी जरूरी है। संस्थानोंको सोशल डिस्टेंसिंग के इस फार्मूले की अनुपालनना करानी जरूरी होगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अतिरिक्त केंद्रों की तलाश शुरू कर दी है। मालूम हो कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में 20 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
6.*नियमों में उलझी ग्रेड थर्ड शिक्षकों की प्रमोशन की सूची*
*-विभाग का दावा...31 मार्च तक ही जुड़ते हैं पात्रों के नाम*
भरतपुर.
शिक्षा विभाग की ओर से जारी डीपीसी की अस्थायी सूची को लेकर अब दावा किया जा रहा है कि इसमें सिर्फ 31 मार्च 2020 तक ही पात्र शिक्षकों को शामिल किया गया है। इसके बाद सूची में नाम जोडऩा तय नहीं होता है। अब सवाल यह है कि जब इस बार सूची से वंचित रहे पात्र शिक्षकों के नाम जोडऩे पर विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है तो शिक्षकों के साथ न्याय होना भी संभव नहीं दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 27 मई अंक में जिनका वर्षों पहले प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। इसके बाद से ही इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इसमें अस्थायी पात्रता सूची की तमाम खामियों को सामने लाया गया है। इसके बाद आक्रोशित शिक्षकों ने यह मामला निदेशक स्तर तक पहुंचाया गया।
जानकारी के अनुसार हर वर्ष तृतीय श्रेणी हो या प्रथम श्रेणी अध्यापकों की प्रमोशन की अस्थायी पात्रता सूची, इसको लेकर विवाद सामने आता ही रहता है। इस बार थर्ड ग्रेड से सेकंड ग्रेड के पद के लिए निकाली गई सूची में खामियों के साथ ही पात्र शिक्षकों को वंचित रखा गया है। पिछले कई दिन से लगातार उन पात्र होने के बाद भी उन शिक्षकों के नाम शामिल नहीं होने पर उनकी समस्या का निस्तारण करने की मांग की जा रही है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से सिर्फ खामियों का ही निस्तारण किया जा रहा है। पात्र शिक्षकों के नाम जोडऩे का लेकर कहा जा रहा है कि विभाग का नियम है कि 31 मार्च तक के आधार पर ही पात्र शिक्षकों के नाम जोड़े जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि पिछले साल भी 31 मार्च के बाद योग्यता अभिवृद्धि के तहत पात्र शिक्षकों के नाम जोड़े गए थे। इस बार लॉकडाउन समेत कोरोना संक्रमण की आशंका को लेकर शिक्षक घरों में रहने के साथ ही क्वॉरंटीन सेंटरों पर भी ड्यूटी देते रहे। ऐसे में समय सीमा में शिथिलन देते हुए उनके नाम जोड़े जाने चाहिए थे, परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी शिक्षकों के प्रमोशन में बाधा बन रही है।
जानकारी के अनुसार हर वर्ष तृतीय श्रेणी हो या प्रथम श्रेणी अध्यापकों की प्रमोशन की अस्थायी पात्रता सूची, इसको लेकर विवाद सामने आता ही रहता है। इस बार थर्ड ग्रेड से सेकंड ग्रेड के पद के लिए निकाली गई सूची में खामियों के साथ ही पात्र शिक्षकों को वंचित रखा गया है। पिछले कई दिन से लगातार उन पात्र होने के बाद भी उन शिक्षकों के नाम शामिल नहीं होने पर उनकी समस्या का निस्तारण करने की मांग की जा रही है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से सिर्फ खामियों का ही निस्तारण किया जा रहा है। पात्र शिक्षकों के नाम जोडऩे का लेकर कहा जा रहा है कि विभाग का नियम है कि 31 मार्च तक के आधार पर ही पात्र शिक्षकों के नाम जोड़े जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि पिछले साल भी 31 मार्च के बाद योग्यता अभिवृद्धि के तहत पात्र शिक्षकों के नाम जोड़े गए थे। इस बार लॉकडाउन समेत कोरोना संक्रमण की आशंका को लेकर शिक्षक घरों में रहने के साथ ही क्वॉरंटीन सेंटरों पर भी ड्यूटी देते रहे। ऐसे में समय सीमा में शिथिलन देते हुए उनके नाम जोड़े जाने चाहिए थे, परंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी शिक्षकों के प्रमोशन में बाधा बन रही है।
*जो पिछले साल प्रमोशन की सूची में थे, अब उनके नाम गायब*
अगर कुछ उदाहरणों पर नजर डालें तो सामने आता है कि भगवानस्वरूप गौड़ रामावि नकसौदा धौलपुर की नियुक्ति तिथि 11 अगस्त 1997 है। गत वर्ष स्थायी वरीयता सूची में क्रमांक संख्या 175 पर थे। हिंदी विषय में नाम था। अब नाम गायब है। इसी प्रकार रेनू झा राउमावि बरेह मोरी धौलपुरका नाम जिला सूची में 297 व मंडल सूची में 1692 नंबर पर था। उपनिदेशक प्राशि भरतपुर की ओर से 10 जनवरी 2017 को स्नातक विषय की योग्यता अभिवृद्धि के आदेश जारी करने के बाद भी अंग्रेजी विषय में नाम शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह प्रमोद कुमार राउमावि बसई डांग धौलपुर सात अगस्त 2008 को नियुक्त हुए। इनका भी अंग्रेजी में नाम शामिल नहीं किया है। बीना शर्मा राजकीय बालिका उमावि डीग हिंदी विषय की सूची में क्रमांक संख्या 47 पर है। स्नातक में हिंदी का विषय ही नहीं है।अमरसिंह रामावि इब्राहिमपुर उपनिदेशक भरतपुर की ओर से 15 सितंबर 2016 को योग्यता अभिवृद्धि के आदेश के बाद भी हिंदी विषय की सूची में नाम नहीं दिया गया है। विज्ञान की 35 नंबर सूची पर अंहिसा सिंघल यूपीएस मढौली में दिखा रखी है। 2012 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ली। सूची में क्रमांक नंबर एक पर शकुंतला देवी 2012 में सेवानिवृत हो गई। अंग्रेजी की सूची में 67 पर पुरुषोतम व 8 नंबर पर रमेश है, करौली में नहीं है, बल्कि वहां दिखा रखा है। गणित में क्रमांक संख्या 12 पर मनीष, 24 पर गजराज सेकंड ग्रेड में कार्यरत है।
*अन्य जिलों में शिक्षकों के हित में लिया गया निर्णय*
बताते हैं कि जयपुर के संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा समेत कई स्थानों पर लॉकडाउन के कारण योग्यता अभिवृद्धि कराने के लिए मई माह की भी छूट दी गई है, लेकिन भरतपुर संभाग में लॉकडाउन का भी ध्यान नहीं रखा गया है, बल्कि खुद के निर्णयों को ही जबरन शिक्षकों पर डाला जा रहा है। जबकि होना यह चाहिए था कि शिक्षकों के हित में निर्णय लेकर कुछ समय योग्यता अभिवृद्धि दर्ज कराने के लिए दिया जाना चाहिए था।
-जयपुर सहित अन्य संभागों में लॉकडाउन के कारण शिक्षक 31 मार्च तक योग्यता अभिवृद्धि नहीं करा पाए थे। उनको शिथिलन प्रदान करते हुए मई तक उनके आवेदन लिए गए हैं। जबकि भरतपुर संभाग में 31 मार्च के बाद की योग्यता अभिवृद्धि के नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं।
राजेश शर्मा
जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ धौलपुर
राजेश शर्मा
जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ धौलपुर
-जब पात्र शिक्षकों को लॉकडाउन का कारण जानते हुए भी 31 मार्च का नियम बताया जाएगा तो यह उनके साथ अच्छा नहीं है। विभाग को चाहिए कि योग्यता अभिवृद्धि के नाम जोड़े जाएं।
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त मंत्री
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त मंत्री
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
-निदेशक की गाइडलाइन के अनुसार ही सूची निकाली जाती है। 31 मार्च 2020 के आधार पर ही शिक्षकों के नाम जोड़े गए हैं।
रिपुसूदन सिंह
संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा
रिपुसूदन सिंह
संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा
7.*आरएएस भर्ती 2018:भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने आरपीएससी पहुंची हाईकोर्ट*
जयपुर
आरएएस भर्ती-2018 की मुख्य परीक्षा का (Result) परिणाम जारी करने पर लगी रोक को हटाने के लिए (RPSC) आरपीएससी ने (Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट में (Application) प्रार्थना पत्र पेश किया गया है। हाईकोर्ट आगामी दिनों में प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करेगा। आयोग के एडवोकेट मिर्जा फैसल बेग ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि अदालती आदेश की पालना में आयोग ने याचिकाकर्ता ओबीसी अभ्यर्थियों को ओपन कैटेगिरी के तहत मुख्य परीक्षा में शामिल कर लिया था। आयोग की ओर से मुख्य परीक्षा की सभी उत्तर पुस्तिकाओं का मुल्याकंन किया जा चुका है। भर्ती को लेकर लंबा समय बीत चुका है। ऐसे में यदि अदालत अनुमति दे तो मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी कर आगे की चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
गौरतलब है कि सुरज्ञान व अन्य की ओर से याचिका दायर कर कहा गया था कि आरएएस व अधीनस्थ सेवा के 1080 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में सामान्य वर्ग की कट ऑफ 76.06 और ओसीबी वर्ग की कट ऑफ 99.33 रही। ओबीसी वर्ग के याचिकाकर्ताओं के अंक सामान्य वर्ग से अधिक हैं, लेकिन ओबीसी की कट ऑफ से कम हैं। आरपीएससी ने उन्हें ओबीसी में मानते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किया है। हाईकोर्ट ने एक दिसंबर 2018 को सामान्य वर्ग से अधिक अंक वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के आदेश देते हुए मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने और भर्ती प्रक्रिया जारी रखने पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि सुरज्ञान व अन्य की ओर से याचिका दायर कर कहा गया था कि आरएएस व अधीनस्थ सेवा के 1080 पदों की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में सामान्य वर्ग की कट ऑफ 76.06 और ओसीबी वर्ग की कट ऑफ 99.33 रही। ओबीसी वर्ग के याचिकाकर्ताओं के अंक सामान्य वर्ग से अधिक हैं, लेकिन ओबीसी की कट ऑफ से कम हैं। आरपीएससी ने उन्हें ओबीसी में मानते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किया है। हाईकोर्ट ने एक दिसंबर 2018 को सामान्य वर्ग से अधिक अंक वाले ओबीसी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के आदेश देते हुए मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने और भर्ती प्रक्रिया जारी रखने पर रोक लगा दी थी।
8.*शिक्षकों को अपमानित करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार-देवनानी*
जयपुर।
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने आरोप लगाया है कि कोरोना महामारी की आड़ में नित नए बेतुके आदेश निकाल शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है। मगर सरकार इन आदेशों को निरस्त करने के बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर मूक नजर आ रही है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले कई दिनों से शिक्षकों की ड्यूटी ऐसे ऐसे कार्यों मे लगाई जा रही है, जिसका शिक्षकों के मूल कार्यों से दूर-दूर तक का संबंध नहीं है। धौलपुर में मनरेगा श्रमिकों पर निगरानी का काम, बारां के मंगरोल में शादी समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग करवाने का काम, प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष संभालने का काम, कोटा में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जाने वाले श्रमिकों की निगरानी का काम शिक्षकों के हाथों सौप दिया। ताज्जुब की बात तो यह रही कि करौली में तो क्वारंटीन सेंटरों में ठहरे श्रमिकों व नागरिकों के मनोरंजन और पाली में मृत्यु भोज में निगरानी के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति कर दी।
देवनानी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले कई दिनों से शिक्षकों की ड्यूटी ऐसे ऐसे कार्यों मे लगाई जा रही है, जिसका शिक्षकों के मूल कार्यों से दूर-दूर तक का संबंध नहीं है। धौलपुर में मनरेगा श्रमिकों पर निगरानी का काम, बारां के मंगरोल में शादी समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग करवाने का काम, प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष संभालने का काम, कोटा में श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जाने वाले श्रमिकों की निगरानी का काम शिक्षकों के हाथों सौप दिया। ताज्जुब की बात तो यह रही कि करौली में तो क्वारंटीन सेंटरों में ठहरे श्रमिकों व नागरिकों के मनोरंजन और पाली में मृत्यु भोज में निगरानी के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति कर दी।
*सोश्यल मीडिया पर बवाल, तब जागते हें मंत्री*
देवनानी ने कहा कि सोशल मीडिया पर बवाल होता देख शिक्षा मंत्री द्वारा कुछ आदेश निरस्त भी किए गए हैं, लेकिन एक के बाद एक नित नए बेतुक आदेश निकालने की पुनरावृति रोज हो रही है। शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के आदेश निकालने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ शिक्षा मंत्री की उदासीनता शिक्षकों को बेइज्जत करने वाले दोषी अधिकारियों के लिए ढाल का काम करती दिखाई पड़ रही है। कोरोना काल में सिर्फ शिक्षक ही बचा है जिसे हर प्रकार का काम दिया जा रहा है। सरकार में अन्य विभागों के कर्मचारी भी है। शिक्षा मंत्री को चाहिए कि वे अपने विभाग के शिक्षकों के हितों की रक्षा करें।
9.*देश के दो लाख स्कूलों में हैं किचन गार्डन*
*स्कूल में उगाई सब्जियोंं का मिड डे मील में इस्तेमाल*
जयपुर।
देशभर के स्कूली छात्रों को पौष्टिक भोजन के प्रति अब पहले के मुकाबले और अधिक जागरूक बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। पौष्टिक भोजन के प्रति जागरूकता को देखते हुए ही देशभर में 2 लाख 40 हजार से अधिक विद्यालयों में किचन गार्डन भी स्थापित किए गए हैं। अलग-अलग राज्यों में बनाए गए इन किचन गार्डन में पौष्टिक सब्जियां उगाई जा रही हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि देशभर के दो लाख 43 हजार विद्यालयों में किचन गार्डन बनाए जा चुके हैं। बीते वर्ष तक एक लाख 56 हजार स्कूलों में किचन गार्डन बनाए थे। उन्होंंने कहा कि पौष्टिक भोजन को लेकर छात्रों की जानकारी बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। साथ ही इसके माध्यम से छात्रों को पर्यावरण के प्रति अधिक सचेत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में उगाई जाने वाली सब्जियों का इस्तेमाल स्कूल में दिए जाने वाली मिड डे मील में भी किया जा रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली एवं देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए पौष्टिक भोजन लेने का परामर्श दिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पौष्टिक भोजन लेने से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है, जिससे हमारा शरीर जल्दी संक्रमित नहीं होता है।
10.*कार्मिक विभाग ने जारी किया विभागों को भेजा परिपत्र*
*कार्मिक विभाग ने मंगलवार को सभी विभागों को एक परिपत्र जारी कर अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले कार्मिकों के नियमितिकरण के साथ सेवा से जुड़े अन्य दिशा निर्देश जारी किए हैं।*
जयपुर
कार्मिक विभाग ने मंगलवार को सभी विभागों को एक परिपत्र जारी कर अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले कार्मिकों के नियमितिकरण के साथ सेवा से जुड़े अन्य दिशा निर्देश जारी किए हैं। कार्मिक विभाग की प्रमुख शासन सचिव रोली सिंह की ओर से जारी परिपत्र के मुताबिक मृतक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने की स्थिति में कार्यग्रहण करने के साथ ही उसकी नियमित नियुक्ति मानी जाएगी। नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हत पर जोर नहीं दिया जाएगा, लेकिन नियुक्त कार्मिक को अपने परिवीक्षा काल में कम्यूटर संबंधी अर्हता अर्जित करनी होगी। इनका दो साल का प्रोबेशन होगा। प्रोबेशन अवधि में कम्यूटर अर्हता हासिल नहीं करने पर उसका प्रोबेशन उतना ही बढ़ा हुआ माना जाएगा, जितनी अवधि में वह कम्प्यूटर अर्हता हासिल करता है। साथ ही परिपत्र में यह भी कहा गया है कि मृतक आश्रित कर्मचारी की ओर से निर्धारित योग्यता अर्जित नहीं करने और उससे कनिष्ठ के पदोन्नति होने की स्थिति में ऐसे कर्मचारियों के लिए पद सुरक्षित नहीं रखा जाएगा।
11.*टीवी से पढ़ रहे सरकारी स्कूल के विद्यार्थी, रोज अलग-अलग समय पर प्रसारित हो रहे कार्यक्रम*
*शिक्षा विभाग द्वारा दूरदर्शन में शिक्षा दर्शन कार्यक्रम का प्रसारण शुरू किया है।*
*इसके अन्तर्गत कक्षा 1 से 12 तक के सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को पढाया जा रहा*
*सोमवार से शनिवार तक शिक्षा विभाग द्वारा 3 घंटे 15 मिनिट का शैक्षणिक प्रसारण किया जा रहा*
दैनिक भास्कर
जयपुर.
लॉकडाउन के कारण विद्यार्थियों की पढाई में नुकसान न हो इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन क्सास के बाद अब रेडियो और टीवी के माध्यम से पढाई करवाई जा रही है। इसके अनुकूल परिणाम भी सामने आ रहे हैं। रेडियो के शिक्षा वाणी प्रोग्राम के बाद एक जून से टीवी के माध्यम पर शिक्षा दर्शन प्रोग्राम से सरकारी स्कूल के विद्यार्थी और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबंधित छात्रों को पढ़ाई करवाई जा रही है। इस कार्यक्रम के माध्यम से जयपुर जिले के लगभग 3000 से अधिक विद्यालयों के विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।
*कक्षा 1 से 8 के लिए 3.00 बजे से 4.15 तक का स्लॉट निधार्रित किया गया।*
शिक्षा विभाग द्वारा दूरदर्शन में शिक्षा दर्शन कार्यक्रम का प्रसारण शुरू किया है। इसके अन्तर्गत कक्षा 1 से 12 तक के सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को पढाया जा रहा है। कक्षा 9 से 12 तक के लिए दोपहर 12.30 से 2.30 बजे तक तथा कक्षा 1 से 8 के लिए 3.00 बजे से 4.15 तक का स्लॉट निधार्रित किया गया हैं। दूरदर्शन चैनल (डी.डी.राजस्थान) पर शिक्षा दर्शन कार्यक्रम का सोमवार से शनिवार तक शिक्षा विभाग द्वारा 3 घंटे 15 मिनिट का शैक्षणिक प्रसारण किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों को विज्ञान, गणित समेत अन्य विषयो की भी पढाई करायी जा रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा दर्शन कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र के उन बच्चों के लिए फायदेमंद है जिनके पास नेट की व्यवस्था नही है, वे अब सीधे दूरदर्शन के माध्यम से पढाई कर सकते हैं। गौरतलब है कि आकाशवाणी के शिक्षा वाणी कार्यक्रम के माध्यम से भी प्रतिदिन 55 मिनिट की पढाई विद्यार्थियों को करवायी जा रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा दर्शन कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र के उन बच्चों के लिए फायदेमंद है जिनके पास नेट की व्यवस्था नही है, वे अब सीधे दूरदर्शन के माध्यम से पढाई कर सकते हैं। गौरतलब है कि आकाशवाणी के शिक्षा वाणी कार्यक्रम के माध्यम से भी प्रतिदिन 55 मिनिट की पढाई विद्यार्थियों को करवायी जा रही है।
12.*10वीं- 12वीं की परीक्षाओं के लिए बोर्ड ने जारी की गाइडलाइन, स्टूडेंट्स 9 जून तक कर सकते हैं परीक्षा केंद्र में बदलाव*
*स्टूडेंट्स तीन जून से 9 जून के बीच अपने-अपने स्कूलों को परीक्षा केंद्र बदलने का अनुरोध कर सकते हैं*
*सीबीएसई की तरफ से जारी मोबाइल ऐप पर 20 जून तक अपने परीक्षा केंद्रों की लोकेशन को देख सकेंगे*
दैनिक भास्कर
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने 10वीं और 12वीं की बाकी बची परीक्षाओं के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, स्टूडेंट्स 9 जून तक अपने शहर और जिले में परीक्षा केंद्र बदल सकते हैं। इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि CBSE बोर्ड की बाकी परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स को एग्जाम सेंटर बदलने की अनुमति दी थी। जो विद्यार्थी लॉकडाउन की वजह से दूसरे जिले और राज्यों में चले गए हैं, वो अपने निवासस्थान के परीक्षा केंद्र में भी परीक्षा दे सकते हैं। देशभर में CBSE की 10वीं (सिर्फ पूर्वोत्तर दिल्ली ) और 12वीं की परीक्षाएं एक जुलाई से लेकर 15 जुलाई के बीच आयोजित होंगी।
*3 जून से शुरू प्रक्रिया*
परीक्षा केंद्र में बदलाव के लिए स्टूडेंट्स 9 जून तक स्कूलों से अनुरोध कर सकते हैं, जिसे स्कूल बोर्ड को भेजेंगे। विद्यार्थी अपने पुराने एडमिट कार्ड और आईडी के साथ ही दूसरे शहरों और जिलों में परीक्षा दे सकते हैं। स्टूडेंट्स सीबीएसई की तरफ से जारी मोबाइल ऐप के जरिए 20 जून तक अपने परीक्षा केंद्रों की लोकेशन को देख सकेंगे। इसके अलावा, किसी भी तरह की सहायता के लिए सीबीएसई की हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। स्टूडेंट्स तीन जून से 9 जून के बीच अपने-अपने स्कूलों को परीक्षा केंद्र बदलने का अनुरोध कर सकते हैं। इसके बाद स्कूल विद्यार्थियों की जानकारी तीन जून से लेकर 11 जून के बीच अपलोड करेगा।
*टेली काउंसलिंग सेवा शुरू*
इससे पहले CBSE ने 10वीं- 12वीं की बची परीक्षाओं के लिए टेली काउंसलिंग सेवा फिर से शुरू कर दी है। लॉकडाउन के कारण स्थगित हुई CBSE की परीक्षा अब देशभर में 1 जुलाई से 15 जुलाई तक आयोजित की जाएगी। परीक्षा के मद्देनजर टेली काउंसलिंग सर्विस 1 जून 2020 से 15 जुलाई 2020 तक लगातार सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक जारी रहेगी। टोल फ्री नंबर-1800-11-8004 पर स्टूडेंट्स IVRS और लाइव काउंसलिंग का लाभ ले सकते हैं। जबकि सामान्य पूछताछ का जवाब टेलीऑपरेटर्स दे सकेंगे।
13.*आईसीएसई 10 वीं, 12 वीं स्टूडेंटस के लिए राहत की खबर, अपने शहर में ही दे सकेंगे परीक्षा*
*बोर्ड ने लिया निर्णय, अपने शहर के आईसीएसई स्कूल में दे सकेंगे परीक्षा*
जयपुर।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हुए लॉकडाउन के कारण कई परीक्षाएं स्थगित की गई। इनमें आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी शामिल थीं। अब से परीक्षा 1 जुलाई से होंगी। बोर्ड ने इन परीक्षाओं को देने के लिए विद्यार्थियों को राहत दी है।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बाद अब कौंंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने भी कक्षा 10 और 12 की शेष परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को राहत दी है। अब वे अपने शहर के ही बोर्ड से एफिलेटेड स्कूल में परीक्षा दे सकेंगे। यदि कोई विद्यार्थी कोरोना वायरस संक्रमण या अन्य किसी कारण से परीक्षा नहीं दे पाता है तो उसे कंपार्टमेंटल परीक्षा के समय एक मौका और दिया जाएगा।
सीआईएससीई के सचिव गैरी अराथून ने नोटिस जारी कर बताया कि कई स्कूलों और पैरेंट्स ने बोर्ड के पास एग्जाम सेंटर बदले जाने की रिक्वेस्ट भेजी थी। लॉकडाउन के कारण कई बच्चे अब उस शहर में नहीं हैं जहां से उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्टर किया था। हालात और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सीआईएससीई ने सेंटर बदलने का विकल्प देने का फैसला किया है।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बाद अब कौंंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने भी कक्षा 10 और 12 की शेष परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को राहत दी है। अब वे अपने शहर के ही बोर्ड से एफिलेटेड स्कूल में परीक्षा दे सकेंगे। यदि कोई विद्यार्थी कोरोना वायरस संक्रमण या अन्य किसी कारण से परीक्षा नहीं दे पाता है तो उसे कंपार्टमेंटल परीक्षा के समय एक मौका और दिया जाएगा।
सीआईएससीई के सचिव गैरी अराथून ने नोटिस जारी कर बताया कि कई स्कूलों और पैरेंट्स ने बोर्ड के पास एग्जाम सेंटर बदले जाने की रिक्वेस्ट भेजी थी। लॉकडाउन के कारण कई बच्चे अब उस शहर में नहीं हैं जहां से उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्टर किया था। हालात और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सीआईएससीई ने सेंटर बदलने का विकल्प देने का फैसला किया है।
*7 जून तक देनी है जानकारी*
नोटिस में बताया कि बोर्ड ने कहा है कि स्टूडेंट्स जिस शहर/ जिले/ राज्य में हैं, वहां के आईसीएसई स्कूल में बचे पेपर्स की परीक्षा दे सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें इसके लिए रिक्वेस्ट भेजनी होगी। स्टूडेंट को उस स्कूल में रिक्वेस्ट भेजनी होगी, जहां उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्टर किया था। परीक्षा केन्द्र के लिए रिक्वेस्ट 7 जून तक भेजना जरूरी होगी। इसके लिए विद्यार्थी से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
14.*सीबीएसई और स्कूल देंगे परीक्षा केंद्रों की जानकारी*
*ऐसे विद्यार्थी 1 से 15 जुलाई तक बोर्ड परीक्षाएं अपने गृह जिले में दे सकेंगे।*
अजमेर.
सीबीएसई के बारहवीं और दिल्ली रीजन के दसवीं के विद्यार्थी अपने गृह जिले में परीक्षाएं दे सकेंगे। विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्रों की जानकारी सीबीएसई और स्कूल देंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर बताया था कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते कई विद्यार्थी अपने गृह जिलों में चले गए हैं। वे फिलहाल अपने परीक्षा केंद्रों वाले जिलों में नहीं है।
ऐसे विद्यार्थी 1 से 15 जुलाई तक बोर्ड परीक्षाएं अपने गृह जिले में दे सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने स्कूल को जिले और करीबी स्कूल की जानकारी देनी होगी। स्कूल और सीबीएसई विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्रों की जानकारी देंगे।
ऐसे विद्यार्थी 1 से 15 जुलाई तक बोर्ड परीक्षाएं अपने गृह जिले में दे सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने स्कूल को जिले और करीबी स्कूल की जानकारी देनी होगी। स्कूल और सीबीएसई विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्रों की जानकारी देंगे।
15.*वर्चुअल और ऑनलाइन क्लास कराएगी नौकरी का इंतजार*
*विश्वविद्यालयों में विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। अब शिक्षकों की संख्या लगातार कम हो रही है।*
अजमेर.
कोरोना लॉकडाउन में शुरू हुई ऑनलाइन और वर्चुअल क्लास से विश्वविद्यालयों-कॉलेज में शिक्षक भर्ती पर संकट बढ़ सकता है। अव्वल तो केंद्र और राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। तिस पर तकनीकी आधारित कक्षाओं के चलते भर्तियों में विलंब हो सकता है।
राज्य में संभाग, जिला, उपखंड स्तर पर 290 कॉलेज संचालित हैं। मौजूदा वक्त इनमें करीब 4 हजार रीडर और लेक्चरर कार्यरत हैं। इसी तरह 28 विश्वविद्यालयों में करीब 3800 शिक्षक कार्यरत हैं। इन विश्वविद्यालयों में 2000-01 तक विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। अब शिक्षकों की संख्या लगातार कम हो रही है।
राज्य में संभाग, जिला, उपखंड स्तर पर 290 कॉलेज संचालित हैं। मौजूदा वक्त इनमें करीब 4 हजार रीडर और लेक्चरर कार्यरत हैं। इसी तरह 28 विश्वविद्यालयों में करीब 3800 शिक्षक कार्यरत हैं। इन विश्वविद्यालयों में 2000-01 तक विभागवार शिक्षकों की संख्या ठीक थी। अब शिक्षकों की संख्या लगातार कम हो रही है।
*राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक*
कार्यरत प्रोफेसर- 3800 रिक्त पद-1440
कार्यरत रीडर- 6850, रिक्त पद-4000
कार्यरत लेक्चरर-8766 रिक्त पद-7145
कार्यरत रीडर- 6850, रिक्त पद-4000
कार्यरत लेक्चरर-8766 रिक्त पद-7145
*विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में पीछे*
संकाय-विभागवार विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में राज्य के विश्वविद्यालय बहुत पीछे हैं। यहां 60 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक कार्यरत है। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रति 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। सरकारी कॉलेज के भी हाल बुरे हैं। अजमेर, कोटा, बीकानेर, सीकर जैसे बड़े राजकीय महाविद्यालयों को छोड़कर अन्य में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
*अब ऑनलाइन शिक्षण चुनौती...*
विश्वविद्यालयों-कॉलेज में कोरोना लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षण और वर्चुअल क्लास चल रही हैं। यूजीसी और राज्य सरकार ने शिक्षकों को ई-कंटेंट, ई-लर्निंग वीडियो बनाकर अपलोड करने को कहा है। इससे शिक्षकों की भर्ती में विलंब होता दिख रहा है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 12 हजार पद रिक्त पद हैं। कॉलेज में 930 शिक्षकों की भर्ती होनी है।
*आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल*
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से केंद्र/राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा चुकी है। नई भर्तियां की मंजूरी आसान नहीं है। विश्वविद्यालयों-कॉलेज के बजट में यूजीसी कटौती या कुछ समय तक नए प्रोजेक्ट स्थगित करने की तैयारी में है। सरकारों को नई भर्तियों पर वेतन-भत्तों के लिए संस्थानों को बजट देना जरूरी होगा।
16.*शुरू हुई भर्तियां, प्राध्यापक के 22 पदों के लिए मांगे आवेदन*
अजमेर.
लॉकडाउन के बाद राज्य में भर्तियों का दौर फिर शुरू होने जा रहा है। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने संस्कृत शिक्षा विभाग में विषयवार 22 प्राध्यापकों (विद्यालय) की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। आवेदन 8 जून से भरने शुरू होंगे। परीक्षा राज्य के जिला/संभाग मुख्यालयों पर कराने का फैसला आयोग करेगा।
लॉकडाउन के चलते राज्य में भर्तियों, परीक्षाओं और साक्षात्कार का दौर थमा हुआ था। हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्मिक विभाग को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने कहा। इसके बाद कार्मिक विभाग की सचिव रोली सिंह ने राजस्थान लोक सेवा आयोग सहित राजस्थान अधीनस्थ सेवा बोर्ड के अधिकारियों की बैठक ली थी।
लॉकडाउन के चलते राज्य में भर्तियों, परीक्षाओं और साक्षात्कार का दौर थमा हुआ था। हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्मिक विभाग को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने कहा। इसके बाद कार्मिक विभाग की सचिव रोली सिंह ने राजस्थान लोक सेवा आयोग सहित राजस्थान अधीनस्थ सेवा बोर्ड के अधिकारियों की बैठक ली थी।
*मांगे प्राध्यापक पद के आवेदन*
सचिव आशीष गुप्ता ने बताया कि आयोग ने संस्कृत शिक्षा विभाग में प्राध्यापक (विद्यालय)भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। आवेदन 8 जून से भरने शुरू होंगे। अभ्यर्थी 7 जुलाई तक आयोग के पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन लिंक अथवा एसएसओ पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)के अभ्यर्थियों को निर्धारित प्रारूप में आय-सम्पत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। अभ्यर्थियों को ऑनलाइन फार्म में मोबाइल और ई-मेल देना होगा। इससे आयोग उन्हें परीक्षा, साक्षात्कार संबंधित सूचनाएं एसएमएस से भी भेज सकेंगे।
17.*कार्यवाहक पीईईओ को नोटिस थमा कर शक्तियां छिनी*
*- पत्रिका ने उठाई थी शिक्षिकाओं की वेदना*
*- शिक्षा निदेशालय तक पहुंचा मामला*
डूंगरपुर.
सीमलवाड़ा ब्लॉक शिक्षा कार्यालय अंतर्गत कार्यरत कार्यवाहक गड़ावाटेश्वर के कार्यवाहक पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी सुनीलकुमार कटारा की समस्त शक्तियां लेते हुए उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी किया है। साथ ही पूरा अग्रिम कार्रवाई को लेकर शिक्षा निदेशालय तक पहुंचा दिया है।
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रामलाल खराड़ी ने बताया कि गड़ावाटेश्वर पीईईओ के रिक्त पद पर कार्यवाहक के रुप में सुनीलकुमार कटारा कार्यरत थे। लॉकडाउन के दौरान पीईईओ क्षेत्र की दस से अधिक महिला शिक्षिकाओं ने शिकायत दर्ज करवाई। इसमें बताया कि प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कार्मिकों की रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी नहीं लगाकर नियमित सेवाएं ली गई। इसके बावजूद महिला शिक्षिकाओं का अप्रेल माह का वेतन काट लिया गया। जबकि, वेतन कटौती संबंधित कोई निर्देश नहीं थे। ज्ञापन में परीविक्षाकाल में शिक्षिकाओं को सर्विस रिकार्ड बिगाड़ देने की भी धमकियों का आरोप लगाए गए। खराड़ी ने बताया कि कार्यवाहक पीईईओ सुनीलकुमार कटारा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही पीईईओ क्षेत्र के वित्तीय अधिकार जीरो तीन पावर सीबीईओ कार्यालय अधीन के लिए निदेशालय को पत्र लिख गया है। वहीं, सीडीईओ के निर्देशानुसार सुनीलकुमार कटारा से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के प्रशासनिक एवं विद्यालय प्रबंध कार्य लेते हुए राउमावि गड़ा पट्टापीठ के प्रधानाचार्य प्रवीणकुमार पाटीदार को दे दिए हैं। गौरतलब है कि उक्त प्रकरण को लेकर राजस्थान पत्रिका ने एक जून के अंक में ही शिक्षिकाओं का कटा वेतन, खोला मोर्चा शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। साथ ही शिक्षक संघ सियाराम एवं राष्ट्रीय ने भी ज्ञापन प्रस्तुत किए थे। इस पर विभाग ने त्वरित कार्रवाई की।
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रामलाल खराड़ी ने बताया कि गड़ावाटेश्वर पीईईओ के रिक्त पद पर कार्यवाहक के रुप में सुनीलकुमार कटारा कार्यरत थे। लॉकडाउन के दौरान पीईईओ क्षेत्र की दस से अधिक महिला शिक्षिकाओं ने शिकायत दर्ज करवाई। इसमें बताया कि प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कार्मिकों की रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी नहीं लगाकर नियमित सेवाएं ली गई। इसके बावजूद महिला शिक्षिकाओं का अप्रेल माह का वेतन काट लिया गया। जबकि, वेतन कटौती संबंधित कोई निर्देश नहीं थे। ज्ञापन में परीविक्षाकाल में शिक्षिकाओं को सर्विस रिकार्ड बिगाड़ देने की भी धमकियों का आरोप लगाए गए। खराड़ी ने बताया कि कार्यवाहक पीईईओ सुनीलकुमार कटारा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही पीईईओ क्षेत्र के वित्तीय अधिकार जीरो तीन पावर सीबीईओ कार्यालय अधीन के लिए निदेशालय को पत्र लिख गया है। वहीं, सीडीईओ के निर्देशानुसार सुनीलकुमार कटारा से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के प्रशासनिक एवं विद्यालय प्रबंध कार्य लेते हुए राउमावि गड़ा पट्टापीठ के प्रधानाचार्य प्रवीणकुमार पाटीदार को दे दिए हैं। गौरतलब है कि उक्त प्रकरण को लेकर राजस्थान पत्रिका ने एक जून के अंक में ही शिक्षिकाओं का कटा वेतन, खोला मोर्चा शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। साथ ही शिक्षक संघ सियाराम एवं राष्ट्रीय ने भी ज्ञापन प्रस्तुत किए थे। इस पर विभाग ने त्वरित कार्रवाई की।
*न्याय के लिए सौंपा ज्ञापन*
उक्त प्रकरण में निष्पक्ष जांच करवा कर कार्यवाहक पीईईओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर शिक्षक संघ सियाराम ने सोमवार को जिला कलक्टर को भी ज्ञापन सौंप महिला शिक्षिकाओं को राहत देने की मांग की है। जिला प्रवक्ता हेमेन्द्रकुमार रावल ने बताया कि जिलाध्यक्ष विश्राम कटारा एवं कोषाध्यक्ष दीपक चौबीसा के नेतृत्व में अनिता पंडया, अशोककुमार गामोट, राजीव जोशी आदि ने ज्ञापन सौंपा।
18.*बची परीक्षाओं ने परीक्षार्थियों एवं अभिभावकों की चिंता बढाई*
*- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं की शेष परीक्षाओं का मामला*
*- सीकर, कोटा एवं जयपुर में अध्ययनरत मूल डूंगरपुर के विद्यार्थियों के लिए आ रही परेशानी*
*- सीबीएसई की तर्ज पर गृह जिले में परीक्षा की उठी मांग*
डूंगरपुर.
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के चलते मार्च माह में लगे लॉडडाउन से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं एवं 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में भी खलल पड़ा। अब बोर्ड ने परीक्षाओं की तिथियों को ऐलान तो कर दिया। पर, बची हुई परीक्षा का समय चक्र घोषित होते ही जयपुर, सीकर, कोटा, उदयपुर आदि जिलों में रहकर अध्यययन करने वाले मूलत: डूंगरपुर के परीक्षार्थियों एवं उनके अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण, रोडवेज एवं निजी बसों की अनुपलब्धता के चलते अभिभावक खासे चिंतित है तथा सीबीएसई की तर्ज पर गृह जिले में परीक्षा कराए जाने की आवाज उठा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 12वीं की शेष परीक्षाएं 18 से 30 जून तथा 10वीं की 27 से 30 जून के मध्य करवाने की घोषणा करते हुए समय चक्र भी घोषित कर दिया है। समय-चक्र घोषित होने के साथ ही मूलत: डूंगरपुर के ऐसे अभिभावक जिनके बच्चे सीकर, कोटा, उदयपुर, जयपुर आदि शहरों में अध्ययनरत है उनकी चिंताएं परीक्षा के दिन आने के साथ ही बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि लॉकडाउन लगने के साथ ही वह वहां किराये का रुम खाली कर के आए थे। होटले आदि धर्मशालाएं क्वारंटीन सेंटर में बदल गई है। वहीं, दूसरी समस्या जाने-आने की है। सरकारी एवं निजी बसे बंद हैं। ऐसे में महंगे दामों पर निजी वाहनों से बच्चों को परीक्षा दिलाने ले जाना पड़ेगा। ऐसे में सरकार यह पहल करें कि वह मध्यप्रदेश सरकार तथा सीबीएसई की ओर से गृह जिले में ही विद्यार्थियों की परीक्षा देने की छूट दे, तो सैकडों विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
*डूंगरपुर के सैकड़ों बच्चों की परेशानी*
वागड़ के डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा के सैकड़ों बच्चे आठवीं और दसवीं उत्तीर्ण होने के साथ ही शैक्षिक उन्नयन एवं कॅरियर निर्माण के ध्येय से उदयपुर, सीकर, कोटा एवं जयपुर में चले जाते हैं। यह सैकड़ों बच्चे वहीं से दसवीं-12वीं एवं आगे एमबीबीएस, आईआईटी आदि करते हैं। परीक्षाओं के बीच में लॉकडाउन लगने से यह बच्चे सभी यहां लौट आए।
*‘कैसे जाएंगे...’*
. बोर्ड गृह जिले में परीक्षा दिलवा दे, तो काफी राहत होगी। निजी वाहनों से जाना पड़ेगा। अभिभावक एवं विद्यार्थी दोनों को परेशानी होगी। - मन पण्ड्या, धम्बोला
*‘बसे भी हैं बंद’*
. मैं 12वीं का विद्यार्थी हूं। 18 जून को सीकर में परीक्षा है। 20 मार्च से यहां हूं। निजी बस संचालकों से भी आज संपर्क किया। पर, बसे बंद हैं।
- चन्द्रमौली सिंह झाला
- चन्द्रमौली सिंह झाला
*अधिकारी ने कहा...*
. फिलहाल गृह जिले में परीक्षा को लेकर कोई आदेश नहीं है। परेशानी तो हैं। पर, यह सरकार एवं बोर्ड स्तर का मामला है।
- बंशीलाल रोत, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक
- बंशीलाल रोत, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक
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