1.*दूरस्थ जिलों में लगाए शिक्षक, संगठन कर रहा घर वापसी की मांग*
जयपुर
शिक्षकों की कमी वाले जिलों में स्थानांतरित किए गए शिक्षकों को फिर से गृह जिलों में लगाए जाने की मांग की जा रही है। यह मामला संस्कृत शिक्षकों से जुड़ा हुआ है। साल की शुरूआत में विभाग ने जिन स्थानों पर संस्कृत शिक्षकों की कमी थी, वहां पर अधिशेष शिक्षकों को लगा दिया था। विभाग की इस कार्रवाई से दर्जनों शिक्षकों को अपने गृह जिले से दूर जाना पड़ गया था। अब इन शिक्षकों की फिर से गृह जिलों में वापसी की मांग की जा रही है।
दरअसल, संस्कृत शिक्षा विभाग में पद विरुद्ध लगे एवं अधिशेष शिक्षकों को अस्थाई तौर पर स्थानांतरित कर दिया गया था। इन शिक्षकों को निदेशालय संस्कृत शिक्षा ने फरवरी में आदेश निकालकर दूरस्थ सीमांत जिलों के स्कूलों में लगा दिया था। यह स्थानांतरण अस्थाई तौर पर किया गया था। अब ये शिक्षक फिर से गृह जिलों में आने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि अब विभाग में द्वितीय ग्रेड के सभी विषयों की नई नियुक्तियां होनी है और थर्ड ग्रेड से द्वितीय ग्रेड में गणित और विज्ञान के पदों पर डीपीसी हो चुकी है। डीपीसी वाले शिक्षकों को पदस्थापन दिए जाने हैं।
दरअसल, संस्कृत शिक्षा विभाग में पद विरुद्ध लगे एवं अधिशेष शिक्षकों को अस्थाई तौर पर स्थानांतरित कर दिया गया था। इन शिक्षकों को निदेशालय संस्कृत शिक्षा ने फरवरी में आदेश निकालकर दूरस्थ सीमांत जिलों के स्कूलों में लगा दिया था। यह स्थानांतरण अस्थाई तौर पर किया गया था। अब ये शिक्षक फिर से गृह जिलों में आने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि अब विभाग में द्वितीय ग्रेड के सभी विषयों की नई नियुक्तियां होनी है और थर्ड ग्रेड से द्वितीय ग्रेड में गणित और विज्ञान के पदों पर डीपीसी हो चुकी है। डीपीसी वाले शिक्षकों को पदस्थापन दिए जाने हैं।
*शिक्षामंत्री से की गई मांग*
ऐसे में शिक्षक संघ सियाराम ने संस्कृत शिक्षा मंत्री एवं निदेशक संस्कृत शिक्षा से अस्थाई तौर पर स्थानांतरित किए गए शिक्षकों को फिर से गृह जिलों में लगाने की मांग की है। इस बारे में पत्र लिखा गया है। संगठन के प्रवक्ता जगेश्वर शर्मा का कहना है कि नव नियुक्ति एवं पदोन्नति पर पदस्थापन से पहले उन शिक्षकों को वापस गृह जिलों में लगाया जाए, जिन्हें विभाग ने अन्य जिलों में अस्थाई रूप से लगाया था। ऐसे शिक्षकों को गृह जिले या नजदीकी जिलों में निकटस्थ खाली पदों पर लगाया जाए।
ऐसे में शिक्षक संघ सियाराम ने संस्कृत शिक्षा मंत्री एवं निदेशक संस्कृत शिक्षा से अस्थाई तौर पर स्थानांतरित किए गए शिक्षकों को फिर से गृह जिलों में लगाने की मांग की है। इस बारे में पत्र लिखा गया है। संगठन के प्रवक्ता जगेश्वर शर्मा का कहना है कि नव नियुक्ति एवं पदोन्नति पर पदस्थापन से पहले उन शिक्षकों को वापस गृह जिलों में लगाया जाए, जिन्हें विभाग ने अन्य जिलों में अस्थाई रूप से लगाया था। ऐसे शिक्षकों को गृह जिले या नजदीकी जिलों में निकटस्थ खाली पदों पर लगाया जाए।
*इसलिए ओर बढ़ी मुश्किलें*
संघ ने मांग की है कि विभाग या इनका स्थानांतरण करे या फिर इन्हें समायोजित करे। इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद ही नवनियुक्त और पदोन्नति वाले शिक्षकों को पदस्थापन दिया जाए। दूरस्थ जिलों में लगाए गए शिक्षकों की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ी हुई हैं कि अगर विभाग ने डीपीसी से पदोन्नत और नवनियुक्त शिक्षकों को पहले पदस्थापन दे दिया तो उनका फिर से नजदीकी या गृह जिलों में आने का इंतजार ओर लंबा हो सकता है।
2.*शिक्षकों को नहीं लगानी पड़ी दौड़, अब सीधे स्कूल पहुंचेंगी पुस्तकें*
*-7 लाख 38 हजार पुस्तकों का किया जाना है वितरण*
*-96 हजार पुस्तकें अभी होनी है वितरित*
पाली।
सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण होने पर शिक्षकों को हमाल बनना पड़ता था। जिला मुख्यालय के पाठय पुस्तक मण्डल से पुस्तकों को गाडिय़ों में लादकर ले जाना पड़ता है। इस बार लॉकडाउन में यह हमाली करने से उनको राहत मिली है।
पाठ्यपुस्तकें तो वितरित करना शुरू कर दी गई है, लेकिन पाठ्यपुस्तक मण्डल से सीधे किताबे जिले में बनाए गए 19 नोडल केन्द्रों पर भेजी जा रही है। वहां से पुस्तकों को पीइइओ को दिया जाएगा। इसके बाद पीइइओ अपने अधीनस्थ स्कूलों को देंगे। ऐसा करने से अब स्कूल खुलते ही बच्चों को तुरन्त पुस्तकें मिल जाएगी और अध्ययन शुरू होगा। पुस्तक वितरण के तहत पहले चरण में जिले को 7 लाख 38 हजार 643 पुस्तकें मिली है।
पाठ्यपुस्तकें तो वितरित करना शुरू कर दी गई है, लेकिन पाठ्यपुस्तक मण्डल से सीधे किताबे जिले में बनाए गए 19 नोडल केन्द्रों पर भेजी जा रही है। वहां से पुस्तकों को पीइइओ को दिया जाएगा। इसके बाद पीइइओ अपने अधीनस्थ स्कूलों को देंगे। ऐसा करने से अब स्कूल खुलते ही बच्चों को तुरन्त पुस्तकें मिल जाएगी और अध्ययन शुरू होगा। पुस्तक वितरण के तहत पहले चरण में जिले को 7 लाख 38 हजार 643 पुस्तकें मिली है।
*दस ब्लॉक में बनाए 19 नोडल केन्द्र*
पुस्तकों का वितरण करने के लिए जिले के दस ब्लॉक में 19 नोडल केन्द्र बनाए गए है। इसमें कुछ जगहों पर दो या तीन वितरण केन्द्र बनाने का कारण यह रहा कि पुस्तकों को पीइइओ तक जल्दी पहुंचाया जा सके। जिले में रानी के पृथ्वीराज नवलाजी राउमावि रानी स्टेशन व राउमावि रानी गांव, मारवाड़ जंक्शन में राउमावि मारवाड़ जंक्शन व राउमावि खारची, बाली में राउमावि बाली, राउमावि खुडाला व रामावि नम्बर एक बाली, देसूरी में राउमावि देसूरी, राउमावि नाडोल व राउमावि घाणेराव, रायपुर में राउमावि बर, राउमावि सेन्दड़ा व राउमावि पिपलिया कलां, रोहट में राउमावि रोहट, जैतारण में राउमावि जैतारण, पाली में राउमावि बांगड़, सुमेरपुर में राउमावि सुमेरपुर तथा सोजत में राउमावि सोजत व राउमावि चण्डावल को नोडल केन्द्र बनाया गया है।
*नौ ब्लॉक के लिए नहीं मिली एक भी पुस्तक*
जिले के नौ ब्लॉक ऐसे है, जिनके लिए कक्षा चार व छह की दो पुस्तकें नहीं मिली है। कक्षा चार की आओ सीखे पुस्तक केवल पाली ब्लॉक के लिए ही मिली है। जबकि कक्षा छह की हनी व बसंत पुस्तक भी केवल पाली ब्लॉक के लिए मिली है। इसी तरह कक्षा छह की भूगोल व सामाजिक की पुस्तक पाली, बाली व रोहट ब्लॉक के लिए ही मिली है। शेष सात ब्लॉक के लिए पुस्तकें अभी आना शेष है।
*पुस्तकों का वितरण चल रहा*
जिला मुख्यालय से प्रथम चरण की पुस्तकों का वितरण चल रहा है। हमने पुस्तकें सीधे नोडल केन्द्र पर पहुंचाई है। वहां से ऑनलाइन मॉडयूल एक्टिवेट होने पर पीइइओ को दी जाएगी। इसके बाद पुस्तकों का वितरण स्कूलों को किया जाएगा। -महेन्द्र नानीवाल, सहायक निदेशक, शिक्षा मण्डल, पाली
*आंकड़ों का गणित*
-4,28,560 पुस्तकें कक्षा नौ से 12 तक की करनी वितरित
-12,114 पुस्तकें कक्षा नौ से 12 तक वितरण से शेष
-2,13,626 पुस्तकें कक्षा चार से आठ तक करनी वितरित
-12,114 पुस्तकें कक्षा नौ से 12 तक वितरण से शेष
-2,13,626 पुस्तकें कक्षा चार से आठ तक करनी वितरित
3.*'शिक्षा' छोड़ 20 साल से कर रहे थे 'पंचायती', अब जाना होगा वापस*
*शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 21 बीडीओ को फिर शिक्षा विभाग में बुलाया*
श्रीगंगानगर.
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में बीस साल से पंचायती कर रहे प्रतिनियुक्त शिक्षा अधिकारियों को माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने वापस बुला लिया है। शिक्षा सेवा के 21 अधिकारी ग्रामीण विकास विभाग में विकास अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्त थे।
इन अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति के लिए एक साल की अनापत्ति जारी की गई थी। इनमें आधा दर्जन अधिकारी तो 21 साल से विकास अधिकारी के रूप में जमे हैं। जबकि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में विकास अधिकारियों का स्वयं का कैडर है। शिक्षा निदेशक की ओर से जारी आदेश के अनुसार शिक्षा विभाग में अधिकारियों के पद रिक्त हैं। इससे प्रशासनिक व्यवस्था एवं परीक्षा परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्रतिनियुक्ति पर चल रहे अधिकांश अधिकारी सेवानिवृत्ति से सालभर पूर्व ही पैतृक विभाग में उपस्थिति देते हैं, जिससे इनसे संबंधित न्यायिक प्रकरणों के निस्तारण में भी विलंब होता है।
*ये हैं 21 बीडीओ*
विभागीय सूची में दिनेश कटारा, रामनिवास बाबल, रूपसिंह गुजर, गोपीराम भांभू, हरफूल चौधरी व मोहित दवे 1999 से लगातार विकास अधिकारी के पद पर काबिज हैं। इसके अलावा टीकाराम चौधरी, गोपीराम महला, तनुराम 2006 से, रामचंद्र जाट व भूराराम बलाई 2007 से, बीरबलराम जानू, नाहरसिंह मीणा, गिर्राज मीणा, कन्हैयालाल वर्मा व भंवरलाल बिश्नोई 2008 से प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। अन्य भी वर्षों से जमे हैं।
&ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग को शिक्षा अधिकारियों की प्रतिनियुक्तियां समाप्त करने के लिए लिखा है। नियमानुसार पांच साल से अधिक प्रतिनियुक्ति पर नहीं रह सकता लेकिन कई अधिकारी तो बीस-बीस साल से जमे हुए हैं। वहीं एनओसी के बिना भी कई अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। अब सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
- सौरभ स्वामी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर।
&ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग को शिक्षा अधिकारियों की प्रतिनियुक्तियां समाप्त करने के लिए लिखा है। नियमानुसार पांच साल से अधिक प्रतिनियुक्ति पर नहीं रह सकता लेकिन कई अधिकारी तो बीस-बीस साल से जमे हुए हैं। वहीं एनओसी के बिना भी कई अफसर प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। अब सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
- सौरभ स्वामी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर।
4.*प्रबोधकों ने किया सद्बुद्धि यज्ञ*
बूंदी.
अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ से जुड़े प्रबोधकों ने गुरुवार को नैनवां रोड स्थित चमत्कारी हनुमान मंदिर पर अपनी मांगों को लेकर सद्बुद्धि यज्ञ किया। यज्ञ के माध्यम से राज्य सरकार को जागृत किया कि प्रबोधकों की गैर वित्तीय मांग, पदोन्नति को पूरा करें। शिक्षा विभाग में वर्तमान में तृतीय श्रेणी शिक्षक एवं शारीरिक शिक्षकों की पदोन्नति का कार्य चल रहा है।
राज्य सरकार लगातार प्रबोधकों के साथ कुठाराघात कर रही है जो निंदनीय है, क्योंकि 13 वर्ष बाद भी प्रबोधकों को पदोन्नति नहीं है। इस दौरान एकीकृत महासंघ के जिलाध्यक्ष अनीस अहमद, प्रदेश संरक्षक रविन्द्र चतुर्वेदी, संघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष नूतन तिवारी, महामंत्री रणजीत सिंह हाडा, प्रदेश मंत्री जितेन्द्र शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री रणजीत सिंह राजावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जाकिर हुसैन अंसारी, एकीकृत महासंघ के उपाध्यक्ष तेजराज सिंह हाडा, सलाहकार अशोक चोहला आदि शामिल हुए।
राज्य सरकार लगातार प्रबोधकों के साथ कुठाराघात कर रही है जो निंदनीय है, क्योंकि 13 वर्ष बाद भी प्रबोधकों को पदोन्नति नहीं है। इस दौरान एकीकृत महासंघ के जिलाध्यक्ष अनीस अहमद, प्रदेश संरक्षक रविन्द्र चतुर्वेदी, संघ के कार्यकारी जिलाध्यक्ष नूतन तिवारी, महामंत्री रणजीत सिंह हाडा, प्रदेश मंत्री जितेन्द्र शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री रणजीत सिंह राजावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जाकिर हुसैन अंसारी, एकीकृत महासंघ के उपाध्यक्ष तेजराज सिंह हाडा, सलाहकार अशोक चोहला आदि शामिल हुए।
5.*अनलॉक 1 में स्कूलों के मैसेजों ने बढ़ाई अभिभावकों की परेशानी*
जयपुर
लॉकडाउन के बाद अनलॉक वन शुरू होते हुए जहां व्यवस्थाएं फिर से पटरी पर आने लगी हैं, वहीं इसी बीच अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कई प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को मैसेज भेज, कॉल करके लॉकडाउन की अवधि की फीस मांगने के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज, एडमिशन समेत अन्य की फीस मांग रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों की इस मांग ने उन अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है, जिनकी कामकाजों पर लॉकडाउन के चलते विपरीत असर पड़ा है और आमदनी घट गई है। इन कमजोर आर्थिक स्थितियों में प्राइवेल स्कूल फीस में बिना कोई रियायत दिए अभिभावकों से फीस जमा करवाने के लिए कह रहे हैं।
इन स्थितियों के बीच पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने राज्य सरकार से मांग की है कि वो निजी स्कूलों पर नियंत्रण लगाते हुए नो स्कूल, नो फीस के आदेश जारी करवाए। सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट का कहना है कि लॉकडाउन में राज्य सरकार ने स्कूलों के लिए निर्देश दिए थे कि तीन महीने तक फीस नहीं ली जाए और न ही नाम काटा जाए। लेकिन अब स्कूल आॅनलाइन क्लास के नाम पर फीस मांग रहे हैं जबकि बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है। सोसायटी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जब तक बच्चे स्कूल नहीं जाते, स्कूल खुल नहीं जाते हैं तब तक अभिभावकों से कोई फीस नहीं ली जाए। स्कूलों को पाबंद किया जाए कि वो फीस नहीं बढ़ाएं। इसके साथ ही सोसायटी ने वर्तमान सत्र को जीरो सत्र घोषित करते हुए सरकार से मांग की है कि प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के आदेश निजी स्कूलों के लिए जारी किए जाएं।
सोसायटी का कहना है कि कई प्राइवेट स्कूल फीस नहीं जमा करवाने पर बच्चों का नाम काट देने की बात भी कह रहे हैं। जबकि कोरोना संकट में लॉकडाउन के चलते प्राइवेट नौकरियों में कहीं वेतन काटा जा रहा है तो कहीं लोगों को नौकरियों से हटाया जा रहा है। ऐसे में इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार निजी स्कूलों के लिए दिशा निर्देश जारी करें ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।
इन स्थितियों के बीच पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने राज्य सरकार से मांग की है कि वो निजी स्कूलों पर नियंत्रण लगाते हुए नो स्कूल, नो फीस के आदेश जारी करवाए। सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश कांवट का कहना है कि लॉकडाउन में राज्य सरकार ने स्कूलों के लिए निर्देश दिए थे कि तीन महीने तक फीस नहीं ली जाए और न ही नाम काटा जाए। लेकिन अब स्कूल आॅनलाइन क्लास के नाम पर फीस मांग रहे हैं जबकि बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है। सोसायटी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जब तक बच्चे स्कूल नहीं जाते, स्कूल खुल नहीं जाते हैं तब तक अभिभावकों से कोई फीस नहीं ली जाए। स्कूलों को पाबंद किया जाए कि वो फीस नहीं बढ़ाएं। इसके साथ ही सोसायटी ने वर्तमान सत्र को जीरो सत्र घोषित करते हुए सरकार से मांग की है कि प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के आदेश निजी स्कूलों के लिए जारी किए जाएं।
सोसायटी का कहना है कि कई प्राइवेट स्कूल फीस नहीं जमा करवाने पर बच्चों का नाम काट देने की बात भी कह रहे हैं। जबकि कोरोना संकट में लॉकडाउन के चलते प्राइवेट नौकरियों में कहीं वेतन काटा जा रहा है तो कहीं लोगों को नौकरियों से हटाया जा रहा है। ऐसे में इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार निजी स्कूलों के लिए दिशा निर्देश जारी करें ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।
6.*CTET 2020: बोर्ड ने जारी किये पिछली वर्ष आयोजित परीक्षा के पेपर, यहां देखें*
CBSE CTET 2020: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) 2020 के लिए पिछले साल के प्रश्न पत्र जारी कर दिए हैं। यह परीक्षा 5 जुलाई को आयोजित होने वाली है और उम्मीदवार अपनी तैयारी की जांच कर सकते हैं पिछले वर्ष के प्रश्न पत्र Ctet.Nic.In पर उपलब्ध हैं।
सीटीईटी 2020 के लिए उपस्थित होने के लिए 30 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण किया था। यह दिसंबर 2019 में 28.32 लाख से वृद्धि है। जो सीटीईटी पास करते हैं, वे शिक्षक के रूप में नौकरी पाने के लिए योग्य माने जाते हैं। जो लोग पेपर 1 को स्पष्ट करते हैं, वे कक्षा 1 से 5 में पढ़ाने के पात्र होंगे, जबकि पेपर 2 को साफ करने वाले लोग कक्षा 6 से 7 में पढ़ा सकते हैं।
CBSE CTET 2020: डाउनलोड कैसे करें
चरण 1: Ctet.Nic.In पर जाएं
चरण 2: नीचे दाईं ओर Year पिछले वर्ष के पेपर ’पर क्लिक करें
चरण 3: एक पीडीएफ खुलेगा, डाउनलोड करें
CBSE CTET 2020: परीक्षा पैटर्न
कक्षा 1 से 5 के लिए पेपर I में, उम्मीदवारों को ढाई घंटे की परीक्षा देनी होगी, जिसमें 150 MCQ होंगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक के लिए होगा और इसलिए परीक्षा 150 अंकों की होगी। इसमें विषय शामिल होंगे - बाल विकास और शिक्षाशास्त्र, एक भाषा I और II, गणित और पर्यावरण अध्ययन। प्रत्येक खंड में 30 MCQ या 30 अंक होंगे।
पेपर II के साथ-साथ दो-डेढ़ घंटे में हल करने के लिए 150 अंकों के 150 प्रश्न होंगे, हालांकि, इसके अलग-अलग उप-विषय होंगे। जबकि बाल विकास और शिक्षाशास्त्र, भाषा I और भाषा II प्रत्येक 30 अंक के लिए होंगे। चौथा खंड उम्मीदवार की पसंद के अनुसार गणित या सामाजिक विज्ञान का होगा। सेक्शन चार 60 अंकों का होगा।
परीक्षा को पास करने के लिए, उम्मीदवारों को 150 अंकों में से 60 प्रतिशत अंक सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है। आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए, कट-ऑफ 55 प्रतिशत है जो 150 में से लगभग 82 अंक तक आता है। CTET दिसंबर 2019 में, कुल 5.42 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
सीटीईटी 2020 के लिए उपस्थित होने के लिए 30 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण किया था। यह दिसंबर 2019 में 28.32 लाख से वृद्धि है। जो सीटीईटी पास करते हैं, वे शिक्षक के रूप में नौकरी पाने के लिए योग्य माने जाते हैं। जो लोग पेपर 1 को स्पष्ट करते हैं, वे कक्षा 1 से 5 में पढ़ाने के पात्र होंगे, जबकि पेपर 2 को साफ करने वाले लोग कक्षा 6 से 7 में पढ़ा सकते हैं।
CBSE CTET 2020: डाउनलोड कैसे करें
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CBSE CTET 2020: परीक्षा पैटर्न
कक्षा 1 से 5 के लिए पेपर I में, उम्मीदवारों को ढाई घंटे की परीक्षा देनी होगी, जिसमें 150 MCQ होंगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक के लिए होगा और इसलिए परीक्षा 150 अंकों की होगी। इसमें विषय शामिल होंगे - बाल विकास और शिक्षाशास्त्र, एक भाषा I और II, गणित और पर्यावरण अध्ययन। प्रत्येक खंड में 30 MCQ या 30 अंक होंगे।
पेपर II के साथ-साथ दो-डेढ़ घंटे में हल करने के लिए 150 अंकों के 150 प्रश्न होंगे, हालांकि, इसके अलग-अलग उप-विषय होंगे। जबकि बाल विकास और शिक्षाशास्त्र, भाषा I और भाषा II प्रत्येक 30 अंक के लिए होंगे। चौथा खंड उम्मीदवार की पसंद के अनुसार गणित या सामाजिक विज्ञान का होगा। सेक्शन चार 60 अंकों का होगा।
परीक्षा को पास करने के लिए, उम्मीदवारों को 150 अंकों में से 60 प्रतिशत अंक सुरक्षित करने की आवश्यकता होती है। आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए, कट-ऑफ 55 प्रतिशत है जो 150 में से लगभग 82 अंक तक आता है। CTET दिसंबर 2019 में, कुल 5.42 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
7.*नामांकित बच्चों को घर पर मिलेगा लॉकडाउन व ग्रीष्मावकाश मिड डे मील*
*1 लाख 14 हजार 139 बच्चें है जिले में, मदरसों के 8 हजार 322 बच्चें भी है शामिल*
टोंक.
हाल ही में कोरोना लॉकडाउन के कारण सरकारी स्कूलों के बन्द होने से बच्चों को मिड डे मील में पका हुआ भोजन नहीं मिल पाया था। अब टोंक जिले के सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों को लॉकडाउन व ग्रीष्मावकाश सहित दोनों का प्रत्येक बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों को गेहूं व चावल दिया जाएगा। टोंक जिले मे कुल नामांकित 1 लाख 14 हजार 139 बच्चों को जिसमे मदरसों के 8 हजार322 बच्चें भी शामिल है उनको पोषाहार मिलेगा।
*कितने दिन का मिलेगा पोषाहार*
मिड डे मील प्रभारी ने बताया कि टोंक जिले में कोरोना संक्रमण के कारण 49 दिन स्कूल बंद रहे। वहीं ग्रीष्मावकाश के 45 दिन कुल 94 दिन का मिड डे मील के तहत कक्षा एक से 8 तक कर सरकारी स्कूलों के बच्चों को गेहूं व चावल वितरित किया जाएगा।
*प्रति बच्चे को इतना मिलेगा*
मिड डे मील के तहत क्लास 1 से 5 तक के प्रति बच्चे को प्रति दिवस 100 ग्राम के हिसाब से 94 दिन का 9 किलोग्राम 400 ग्राम तथा क्लास 6 से 8 तक के बच्चे को प्रति दिन 150 ग्राम के हिसाब से 14 किलो 109 ग्राम सूखा पोषाहार मिलेगा।
मिड डे मील के चौथमल शर्मा ने बताया कि टोंक जिले में पोषाहार के लिए नामांकित कक्षा एक से 5तक के प्रत्येक बच्चे को 94 दिन का 6 किलो 200 ग्राम गेहूं तथा 3 किलो 200 ग्राम चावल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्लास 6 से 8 तक के प्रति बच्चे को 9 किलो 300 ग्राम गेहूं तथा 4 किलो 8 00 ग्राम चावल वितरित किया जाना है।
मिड डे मील के चौथमल शर्मा ने बताया कि टोंक जिले में पोषाहार के लिए नामांकित कक्षा एक से 5तक के प्रत्येक बच्चे को 94 दिन का 6 किलो 200 ग्राम गेहूं तथा 3 किलो 200 ग्राम चावल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्लास 6 से 8 तक के प्रति बच्चे को 9 किलो 300 ग्राम गेहूं तथा 4 किलो 8 00 ग्राम चावल वितरित किया जाना है।
*इनका कहना है*
जिले में सभी सरकारी स्कूलों में पोषाहार सामग्री गेहंू व चावल भेजे जा चुके है, जिनको 30 जून तक नामांकित कक्षा एक से 8 तक के बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को वितरित किया जाएगा।
हीरा लाल चौधरी मिड डे मील प्रभारी टोंक
हीरा लाल चौधरी मिड डे मील प्रभारी टोंक
8.*स्कूल के खेल मैदान की भूमि पर अतिक्रमण, नगर परिषद मौन*
*बखतासागर तालाब के पास खेल मैदान पर कब्जा, आवाजाही बंद, एसडीएम के पत्र में आयुक्त पर अतिक्रमी को सहयोग देने का आरोप*
नागौर.
शहर में बखतासागर स्थित स्कूल के खेल मैदान में अतिक्रमण हो रहा है, जिससे आसपास के लोग भी आक्रोशित है। इस सम्बंध में लगातार कार्रवाई की मांग की जा रही है, लेकिन नगर परिषद मौन ही है। उपखंड अधिकारी की ओर से कार्रवाई को लेकर निर्देशित किए जाने के बाद भी परिषद न तो कार्रवाई कर रही है और न ही अतिक्रमण हटया जा रहा है। एसडीएम की ओर से गत मार्च माह में जारी आदेश पत्र में नगर परिषद आयुक्त पर अतिक्रमण को सहयोग देने का आरोप भी लगाया जा चुका है, लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। गुरुवार को लदावतों का मोहल्ला लोहारपुरा के निवासियों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन भेजा एवं आदुलियो की बाड़ी में हो रहे अतिक्रमण को हटवाने की मांग की।
*छह माह बाद भी नहीं हटा निर्माण*
एसडीएम ने एक दिन पहले ही एक और पत्र जारी किया है। इसमें आयुक्त को निर्देशित किया है कि पूर्व में भी निर्देश दिए गए थे, लेकिन स्कूल के खेल मैदान से अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा। गत दिसम्बर माह में इसकी पालना में परिषद की ओर से स्वच्छता निरीक्षक को वहां अवैध रूप से बने कमरे का निर्माण हटवाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन इस आदेशों की अवहेलना करते हुए अतिक्रमण को बढ़ा दिया जा रहा है।
*अतिक्रमियों ने लगा रखी है पत्रावलियां*
एसडीएम से जारी पत्र में उल्लेखित किया है कि अतिक्रमी मौका देखकर अतिक्रमण कर रहे हैं। कोविड-19 के दौरान अतिक्रमी अवैध कब्जे कर निर्माण कर रहे हैं। कई अतिक्रमियों ने स्टेट ग्रांट एक्ट व नियमन के लिए पत्रावलियां नगर परिषद में लगा रखी है। अतिक्रमण तुरंत प्रभाव से हटाए जाने के निर्देश दिए हैं।
9.*27 जून से होगी 10वीं की परीक्षा*
*-कोरोना के कहर के बीच शुरू हुई 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं, प्रवेश पत्र से पहले देखा मास्क,1443 ने दिया पेपर*
श्रीगंगानगर.
जहां एक ओर राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं दूसरी ओर गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलों में अजमेर बोर्ड ने बचे हुए विषयों की परीक्षाओं की शुरुआत की। सुबह 7 बजे से ही शहर व गांवों के परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों ने आना शुरू कर दिया था जिन्हें बोर्ड के निर्देशों की पालना के चलते परीक्षा से एक घंटे पूर्व केन्द्रों पर प्रवेश दिया गया। जबकि परीक्षा सुबह 8.30 बजे शुरू हुई थी। साथ ही वीक्षकों व अधिकारियों ने प्रवेश पत्र से पहले यह जांच की कि विद्यार्थी ने मास्क अनिवार्यत: पहना हुआ है कि नहीं? पहले दिन गणित का पेपर 1450 में 1443 विद्यार्थियों ने दिया।
*थर्मल स्केनर से हुई जांच, सेनेटाइज किए हाथ*
बोर्ड परीक्षा देने के लिए आए हुए समस्त परीक्षार्थियों की परीक्षा केंद्र के बाहर थर्मल स्केनर से जांच की गई तथा हैंड सेनेटाइजर से हाथ सेनेटाइज किए गए। जबकि कई केन्द्रों पर साबुन से हाथ धुलवाए गए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला कलक्टर से थर्मल स्केनर उपलब्ध करवाने का आग्रह किया था जिसके चलते चिकित्सा विभाग के कार्मिक स्केनर के साथ सभी परीक्षा केंद्रों पर सुबह 7.15 बजे उपस्थित हो गए थे।
*185 उडऩ दस्तों ने की कड़ी निगरानी*
30 जून तक चलने वाली इन बोर्ड परीक्षाओं में नकल एवं अनुचित साधनों की रोकथाम के लिए बोर्ड स्तर पर 60 उडऩ दस्ते तथा जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर से 125 उडऩदस्तें तैनात किए गए हैं जिनमें से गंगानगर जिले में 3 उडऩ दस्तों ने परीक्षा केन्द्रों की सघन जांच की। उडऩ दस्ता दल के संयोजक व जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक हंसराज यादव ने बताया कि पहले दिन नकल आदि का कोई प्रकरण नहीं आया है तथा परीक्षा शांति पूर्वक संपन्न हुई।
*औसत था प्रश्न पत्र का स्तर*
जिला मुख्यालय पर मल्टीपर्पज स्कूल में परीक्षा देने आए बीएल स्कूल के छात्र प्रथम शर्मा का कहना है कि गणित का पेपर काफी लंबा था। पेपर में कुल 30 प्रश्न थे पर कोई प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर नहीं था। वहीं साथ आए कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की परीक्षा को लेकर डर जरूर है पर बोर्ड प्रशासन बच्चों के लिहाज से काफी एहतियात बरत रहा है।
*फैक्ट फाइल*
गंगानगर में पंजीकृत विद्यार्थी
कुल विद्यार्थी- 53196
माध्यमिक परीक्षा- 30007
उच्च माध्यमिक परीक्षा-23189
जिले में परीक्षा केंद्र-136
परीक्षा उप केन्द्र-10
पहली दिन परीक्षा केन्द्र-56
गणित में पंजीकृत विद्यार्थी-1450
उपस्थित विद्यार्थी-1443
कुल विद्यार्थी- 53196
माध्यमिक परीक्षा- 30007
उच्च माध्यमिक परीक्षा-23189
जिले में परीक्षा केंद्र-136
परीक्षा उप केन्द्र-10
पहली दिन परीक्षा केन्द्र-56
गणित में पंजीकृत विद्यार्थी-1450
उपस्थित विद्यार्थी-1443
पहले दिन की परीक्षा में विद्यार्थी काफी जागरूकता और सावधानी के साथ पेपर देने आए। सभी विद्यार्थियों के पास अपनी पानी की बोतल थी। फिजिकल डिस्टेंसिंग के चलते जिन परीक्षा कक्षों में 24 विद्यार्थी बैठते थे अब उन्हीं कमरों में अधिकतम 12 परीक्षार्थियों को बैठाया गया। परीक्षा में कोविड-19 के सभी सुरक्षा मानकों की पूर्ण पालना की गई।
-भूपेश शर्मा, सहसंयोजक जिला समान परीक्षा योजना, माध्यमिक शिक्षा, श्रीगंगानगर
-भूपेश शर्मा, सहसंयोजक जिला समान परीक्षा योजना, माध्यमिक शिक्षा, श्रीगंगानगर
10.*सरकारी स्कूलों में बनेंगे स्मार्ट क्लास रूम, हाईटेक होगी पढ़ाई*
सीकर/लक्ष्मणगढ़.
राजस्थान की सरकारी स्कूलों के बच्चे अब हाईटेक पढ़ाई करेंगे। इसके लिए सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनाए जाएंगे। राज्य सरकार ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षण के लिए सरकार ने पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और एजुकेशनल कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसिके तहत शुरुआत में प्रदेश के 100 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बनाये जाएंगे।
*शिक्षकों को मिलेगी ट्रेनिंग*
*शिक्षकों को मिलेगी ट्रेनिंग*
योजना के तहत प्रत्येक स्कूल के चार शिक्षकों को स्मार्ट क्लास रूम के संचालन की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम का ई-कंटेंट उपलब्ध कराया जाएगा। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने बताया कि स्मार्ट क्लासरूम का समुचित उपयोग हो सके इसके लिए ऐसे विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी जो सुदूर स्थानों पर हों व जहां कम्प्यूटर शिक्षक व प्रयोगशाला सहायक भी पदस्थापित हो।
*एक करोड़ 85 लाख की आएगी लागत*
*एक करोड़ 85 लाख की आएगी लागत*
प्रदेश के 100 राजकीय स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज स्थापित करने में लगभग एक करोड़ 85 लाख रुपए की लागत आएगी। स्मार्ट क्लासेज में बच्चों को पढ़ाने के लिए कटेंट भी राज्य सरकार की ओर से ही उपलब्ध करवाए जाएगें। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'महात्मा ग़ांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयÓ के अंतर्गत आने वाले राजकीय विद्यालयों को डिजीटल एजूकेशन से जोडऩे के लिए प्रदेश के 33 राजकीय विद्यालयों में भी डिजीटल स्मार्ट क्लास रूम तैयारा कराये जाएंगे। इसी तरह 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंटÓ के तहत मुख्यमंत्री विद्यादान कोष से विकसित किए जा रहे चयनित 33 राजकीय विद्यालयों में भी सहमति पत्र के अंतर्गत स्मार्ट क्लास रूम तैयार होंगे। इसके अलावा राज्य के एक मात्र खेल विद्यालय होने के कारण बीकानेर के राजकीय सार्दुल स्पोट्र्स स्कूल को भी स्मार्ट क्लास रूम के लिए चयनित किया गया है।
11.*CBSE: एग्जाम की तैयारी, स्कूल देंगे स्टूडेंट्स को सूचना*
*सीबीएसई की बकाया परीक्षाएं 1 जुलाई से।*
अजमेर.
सीबीएसई के बारहवीं और दिल्ली रीजन के दसवीं के विद्यार्थी अपने गृह जिले में परीक्षाएं दे सकेंगे। सीबीएसई और स्कूल ने शुक्रवार से परीक्षा सामग्री, केंद्र और अन्य सूचनाएं डाउनलोड करना शुरू कर दिया है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने बकाया परीक्षाओं कराने से जुड़ी अभिभावकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बोर्ड से 23 जून को जवाब मांगा है।
सीबीएसई और स्कूल को परीक्षा सामग्री, परीक्षा केंद्र, प्रवेश पत्र और अन्य सूचनाएं डाउनलोड करनी हैं। साथ ही विद्यार्थियों को सूचना देनी है। शुक्रवार से यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते कई विद्यार्थी अपने गृह जिलों में चले गए हैं। ऐसे विद्यार्थी 1 से 15 जुलाई तक बोर्ड परीक्षाएं अपने गृह जिले में दे सकेंगे।
Read More: Big Decision: इस साल फीस नहीं बढ़ा पाएंगे कॉलेज और यूनिवर्सिटी
सीबीएसई और स्कूल को परीक्षा सामग्री, परीक्षा केंद्र, प्रवेश पत्र और अन्य सूचनाएं डाउनलोड करनी हैं। साथ ही विद्यार्थियों को सूचना देनी है। शुक्रवार से यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते कई विद्यार्थी अपने गृह जिलों में चले गए हैं। ऐसे विद्यार्थी 1 से 15 जुलाई तक बोर्ड परीक्षाएं अपने गृह जिले में दे सकेंगे।
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*23 जून को बोर्ड देगा जवाब*
सीबीएसई की बारहवीं और दिल्ली रीजन की 1 से 15 जुलाई तक कराई जाने वाली परीक्षाओं के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक देने पर विचार करने को कहा है। बोर्ड परीक्षाओं और परिस्थितियों को लेकर 23 जून को जवाब पेश करेगा। कई अभिभावकों ने बच्चों के संक्रमित होने का खतरा बताते हुए दसवीं-बारहवीं के बकाया पेपर लेने के बजाय आंतरिक मूल्यांकन से अंक देने को लेकर याचिका लगाई है।
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